Saturday, September 25, 2010

किस्से




अम्मा  बाबा .. नाना  नानी ... 
चले  गए  अपने  किस्सों  के  साथ ...

खुशबू  याद  है  पर  उनकी ..

दादी  नानी  की  में  आंवले  के  तेल  की  मिलावट  है ..
बाबा  की शाम  के  चाय  के  साथ  वाले  बिस्किट सी ..
नानाजी  में  उरद  की  खिचड़ी  के  तड़के  की  तेज़ी ...

सवेरे  की  आरती  सी  आवाज़ ... 
कभी  कभी  बुद्ध  के  कीर्तन  से  जोश  में  बजती  है  कानो  में  ...

शाम  की  सैर  में  कदम  हलके  हलके  से ..  फिर  उतने  भी  नहीं ...
रात  में  दूध  के  गर्म  गिलास  या  कॉफ़ी  सी  गुनगुनी  बातें ..
कुछ  शिकायतें  भी ..

अब  ये  हमारे  किस्से  हैं ..



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