Monday, September 20, 2010

खिड़की के बाहर

खिड़की  के  बाहर ...
घुटन  ऐसी ... कि  कमरे  की  सीलन  .. पहली  बारिश  सी ...
खुशबू  भी  खुश  नहीं  है  आज ...
खुला  आसमान ... गुफा  से  काला ...
चिड़िया .. गिद्ध  का  साया ...
घास .. काटों  की  हैं  तारें ...
पेड़  कि  शाख .. जेल  कि  बेड़ियाँ ...
पहले  पहल  समा  खुशरंग  था .. अब  न  खुश  है .. न  रंग ...
ये  सब  तेरे  बिना  है  क्योंकि .. कोई  और  कहानी .. तेरे  संग ...



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