मैं जानती हूँ कि तुम जानते हो सब ..
जानते हो कि मैं जा रही हूँ..
कि खड़ी थी देर तक दरवाज़े पर.. दरवाज़ा खोला नहीं तुमने..
ताला बंद है.. चाबी छुपी थी तुम्हारे ही सिरहाने
मैंने दस्तक नहीं दी कभी..
मैं सोचती थी कुछ फुट दूर सही तुम्हारी खटपट तो सुनाई देगी मुझे..
तुम शायद खुश थे कि मैं चाहकर कर भी छू नहीं पाती थी तुम्हारी दुनिया ..
थक गयी हूँ .. अकेले खड़े हुए..
कि अब सोचती हूँ कि कोई द्वार पर रोके तो चावल का कलश छुआने को..
खाली पैर की जगह पैर में पाज़ेब हो..
अब जाऊं अन्दर तो चोरो कि तरह नहीं .. अपनी मेहँदी के निशान छोड़कर..
Ati uttam :)
ReplyDeletewow .. its gr8
ReplyDeletegr8...
ReplyDeletedarwaze ke kapat hai..
kismat yahi hai..
milenge to kisi ki
rah rok denge...
Lovely. This one's superb Ragini!
ReplyDeletebeautiful!!!!!!!
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