कुछ छंद ...चंद कविताएँ ...
Friday, July 23, 2021
तुम
तुम नशे में, तुम नशीले ..
तुम कोलाहल .. धीमे धीमे
तुम मुरझाए, खिले खिले से
तुम निर्भीक .. डरे डरे से
तुम सूनेपन की हर चीख
गलत करो तो करते ठीक
तुम तिरछे, तुम ही हो सीधे
तुम तुम हो .. तुम मैं भी थोड़े
मॉनसून
बारिश की सुबह का हल्का खुमार
छोटे छोटे पैरो के निशानों में मद्धम
बस्ता टांग, छाता लगा
पगडण्डी पर, कभी चल, कभी थम
कोहरे की चादर में नहाकर फिर गीले
जूतों में पानी का झरना बहा
बचपन की यादों और झगड़ों की बातें
अलसाई शामों का किस्सा बना
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