Friday, July 23, 2021

तुम

 तुम नशे में, तुम नशीले ..

तुम कोलाहल .. धीमे धीमे 

तुम मुरझाए, खिले खिले से 
तुम निर्भीक .. डरे डरे से 

तुम सूनेपन की हर चीख 
गलत करो तो करते ठीक 

तुम तिरछे, तुम ही हो सीधे 
तुम तुम हो .. तुम मैं भी थोड़े

6 comments:

  1. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार(२५-०७-२०२१) को
    'सुनहरी धूप का टुकड़ा.'(चर्चा अंक-४१३६)
    पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    सादर

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  2. तुम सूनेपन की हर चीख ---बहुत सुंदर और गहरी पंक्तियां।

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  3. सुन्दर सृजन।

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  4. तुम तुम हो तुम मैं भी थोड़े ।गज़ब ।दार्शनिकता का टच लिए हुए सुंदर रचना

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  5. आदरणीया रागिनी जी, आपको वापस इस ब्लॉग पर देखकर, शायद ही कोई और मुझसे ज्यादा खुश हो। मन शंकाओं से घिरा था। पर अब आश्वस्त हूँ। मेरी सारी शुभकामनाएँ आपके साथ हैं। ।।।।।।
    आशीष...
    इस बेहतरीन लेखनी को अनवरत प्रवाह देते रहें ....

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