अगर मेरी लेखनी आपको पसंद आई है तो मेरे पापा की कलम का तो कहना.
कुछ शब्द उनकी नव प्रकाशित किताबों पर उनकी तरफ से
हम शहरी मध्य-वर्ग वाले न तो अमीरी के ठाठ में जीते है और न ही अभाव और गरीबी का दर्द झेलते हैं.
हमारी छोटी-छोटी खुशियाँ होती हैं और हमारे हलके-फुल्के गम होते हैं.
एक जुडिशियल मजिस्ट्रेट की आख़री और पांचवीं सन्तान के रूप में मेरा बचपन आराम से बीता.
जवानी के दिनों में सफलता के और असफलता के बीच झूलते हुए भी मैं अपनी शरारतों से बाज़ नहीं आया.
अब बूढ़ा हो जाने पर भी मेरी यह पुरानी आदत मुझ से छूटी नहीं है.
मेरे इन शरारती संस्मरणों –
‘मुस्कुराइए ज़रा’
और
‘मुस्कुराना ज़रूरी है’
का काल मेरे बचपन से लेकर मेरे बुढ़ापे तक फैला हुआ है.
एक विद्यार्थी के रूप में ही नहीं बल्कि एक अध्यापक के रूप में भी मैंने ज़िंदगी का भरपूर लुत्फ़ उठाया है.
मेरी मेरे इर्द-गिर्द जो भी रोचक और मज़ेदार घटनाएँ हुईं, मेरे जीवन में जिन-जिन दिलचस्प हस्तियों ने मुझको हंसने-मुस्कुराने के मौक़े दिए, मेरी अपनी ऐसी छोटी-छोटी उपलब्धियां और मेरी ऐसी मोटी-मोटी नाकामियां, जिन्हें पढ़ कर कोई आनंद ले सकता है, उन्हें मैंने इन संस्मरणों में शामिल किया है.
मेरी श्रीमती जी कहती हैं -
‘आप तीन-तीन बच्चों के नाना बन गए हैं.
अब तो इस खिलदंगड़ेपने से बाज़ आइए.’
लेकिन अपनी आदत से मजबूर मैं, अकबर इलाहाबादी का एकलव्यनुमा शागिर्द, तंज़ की दुनिया से अपना दामन छुडाने की तो अपने ख़्वाब में भी कोशिश नहीं करता.
मैं एक ऐसी शख्सियत हूँ जिसे दूसरों की खिंचाई करना तो अच्छा लगता ही है पर जिसे अपनी खिंचाई करने में भी मजा आता है.
मुझे उम्मीद है कि मेरे पाठकों को मेरी ये गुस्ताखियाँ पसंद आएंगी.
** कई मित्र मुझ से किताब आर्डर करने का तरीका पूछ रहे हैं . फ़ोन भी कर रहे हैं.
मैंने अभी तक इस विषय में ज़्यादा सोचा नहीं था पर आपकी प्रतिकिया देख कर अब सही प्रक्रिया सोच ली गई है .
मेरी पुस्तकें - 'मुस्कुराइए ज़रा' (मूल्य 300/-)
तथा
'मुस्कुराना ज़रूरी है' (मूल्य 275/-)
दोनों किताबो की एक-एक प्रति का पैक आप सभी मित्रगण के लिए रियायती मूल्य - 360 रुपये का है .
आप मेरे दामाद शार्दुल बहुगुणा के नंबर 9916746378 पर paytm या googlepay के सौजन्य से भेज सकते हैं .
ट्रांसफर करने पर screenshot , अपना नाम और address भी इसी नंबर पर whatsapp से भेज दें.
मैं शीघ्रतम आपको रजिस्टर्ड बुकपोस्ट से प्रतियां भेज दूंगा.
आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा 30.09.2021 को चर्चा मंच पर होगी।
ReplyDeleteआप भी सादर आमंत्रित है।
धन्यवाद
दिलबागसिंह विर्क