जी नमस्ते , आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार(२५-०७-२०२१) को 'सुनहरी धूप का टुकड़ा.'(चर्चा अंक-४१३६) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। सादर
आदरणीया रागिनी जी, आपको वापस इस ब्लॉग पर देखकर, शायद ही कोई और मुझसे ज्यादा खुश हो। मन शंकाओं से घिरा था। पर अब आश्वस्त हूँ। मेरी सारी शुभकामनाएँ आपके साथ हैं। ।।।।।। आशीष... इस बेहतरीन लेखनी को अनवरत प्रवाह देते रहें ....
जी नमस्ते ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार(२५-०७-२०२१) को
'सुनहरी धूप का टुकड़ा.'(चर्चा अंक-४१३६) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
तुम सूनेपन की हर चीख ---बहुत सुंदर और गहरी पंक्तियां।
ReplyDeleteसुन्दर सृजन।
ReplyDeleteतुम तुम हो तुम मैं भी थोड़े ।गज़ब ।दार्शनिकता का टच लिए हुए सुंदर रचना
ReplyDeleteआदरणीया रागिनी जी, आपको वापस इस ब्लॉग पर देखकर, शायद ही कोई और मुझसे ज्यादा खुश हो। मन शंकाओं से घिरा था। पर अब आश्वस्त हूँ। मेरी सारी शुभकामनाएँ आपके साथ हैं। ।।।।।।
ReplyDeleteआशीष...
इस बेहतरीन लेखनी को अनवरत प्रवाह देते रहें ....
बेहतरीन लेखनी
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